व्यंग्य फैक्ट्री
वक्त ही वह फैक्ट्री है जहाँ व्यंग्य गढे नहीं जाते वरन उनका बाकायदा उत्पादन होता है
गुरुवार, 3 सितंबर 2015
हरिभूमि में 1 सितम्बर 15 को प्रकाशित लेख
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें